सपोर्ट सिस्टम


पता है सपोर्ट सयतम कौन होता है कैसा होता है? ये काम कैसे करता है? और क्या महसूस करता है. मैं हु सपोर्ट सिस्टम,तुम्हारे टूटते लड़खड़ाते हौसलों को हमेशा मैंने संभाल है, जब जब तुम हारे हो, मैंने खुद को तुम्हारे सहारे के लिए तैयार किया, खुद डर कर काँपती हूँ, निराश होकर भी, हौसलों को जगाती हूँ,क्योंकि मुझे पता है तुम्हे मुझसे ही हौसला मिलता है. चूल्हे की आखरी बुझती आग की तरह होता है मेरा हाल, मुझे जलना भी है और सुलगना भी है.

मैंने अपने हौसलो को टूटते  है तुम जब जब हौसला सपोर्ट लेकर जाते हो और गवां आते हो उसे जुए की तरह निरर्थक प्रयास में, तो मुझे दुःख होता है.
मेरे हौसलो को टूटा हुआ देख रो पड़ती हु मैं इन्हें देख कर भी तुम नहीं पसीजते? गिर कर सुख जाते है बेचारे!

सुनो! अब थक गयी हूँ मैं, मेरा मुझ पर से सपोर्ट हैट गया है. अब आगे तुम्ही संभालो, मैं यही रूकती हूँ, थोड़ा सुस्ता लेती हूँ, तुम आगे चल कर देखो, मैं पीछे ही हूँ लेकिन अब आराम चाहती हूँ, थोड़े नए हौसले रास्ते से तुम ही ले आना, शायद मेरे काम आ जाये. 


Comments

Popular posts from this blog

मुझपे मेरा गर्व

पाक़ीज़ा आखें

कैसे ढालूँ लब्ज़ो में तुझे