आम सी ज़िन्दगी



आम सी ज़िन्दगी, हम कितना मामूली सा मान देते है अपनी आम सी ज़िन्दगी को, क्या सचमुच हमारी ज़िन्दगी जिससे हम रोज़ कभी ख़ुशी से कभी गुस्से से कभी अनमने ढंग से बच जी जाते है क्या वो इतनी आम सी है. ज़िन्दगी रोज़ नयी आशाओं के साथ एक नया दिन लेकर आती है, हम अपनी सोच से अपने मन अवसाद से उसे निराश कर देते है. कौन कहता है ज़िन्दगी हमेशा निराशा से भरी होती है, या किसी ज़िन्दगी रोज़ नए मौके देती है. रोज़ की दिनचर्या से अगर हम 10 दिन भी अलग रह लें तो इसी आम रोज़ की दिनचर्या को मिस करने लगते है. जाने अनजाने ये हमारी ज़िन्दगी का अभिन्न हिस्सा बन चूका है. और कौन अपनी ज़िन्दगी में होने वाली आम घटनाओ को रोज़ जीकर भी खुश नहीं होता ? 

कौन नहीं चाहता रोज़ सुबह उठ अपनी खिड़की से खुले  आकाश का वही हिस्सा देखना जो आप हमेशा से देखते आ रहे है. कौन नहीं चाहता घर के उस कोने में सालों से  रखे गमले में पानी डालना. कौन नहीं देखना चाहता दीवारों में टंगी तस्वीरों को धुंधली होते देखना, कौन नहीं चाहता रोज़ अपनी फेवरेट कप में चाय या कॉफी पीना, हम रोज़ घर में आते ही एक निश्चित जगह में निश्चित काम को निपटाते है,  ये सारे काम निरंतरता के प्रतिक है और निरंतर गति करना जीवन का, ये घटनाएं जो रोज़ हम बस आदतन कर गुज़रते है यही तो हमारी आम सी ज़िन्दगी है. 
हम रोज़ एक ही काम करते चले ा रहे है, लेकिन से बोर नहीं होते, कुछ कामों से तो नहीं, शायद समय के साथ तरीका बदल जाता है पर काम तो वही रहता है. लम्बी छुटियों के बाद मैं हमेशा अपना काम अपना ओफ़्फ़िए बहोत मिस करती हु, शायद इस रूटीन औरनहीं ज़िन्दगी में जो मज़ा और सुकून मुझे मिलता है वो कुछ दिन हॉलिडे से भी नहीं मिलता. मन तो हमेशा बदलाव चाहता है, पर बहोत अधिक बदलाव से वो मिसबिहेव करने लगता है. मन की आदत है ऊबने की, कमब्ख़त हमेशा कुछ नया चाहता है, पर  उसे खुद ये नहीं मालूम की वो आदत में जीने का आदी हो चूका है. 

आम ज़िन्दगी का सुकून और रस  कभी फ़ीका नहीं पड़ता। 

आपको आपकी आम ज़िन्दगी बहोत बहोत मुबारक :d 


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