मुझपे मेरा गर्व मुझपे मेरा गर्व, मुझे सिखाता है स्वम से प्रेम करना मुझपे मेरा गर्व सिखाता है, हिम्मत नहीं हारना मुझपे मेरा गर्व सिखाता है, अटूट विश्वास से जीवन जीना मेरा गर्व मुझे सिखाता है, विपरीत परिस्थिति से निकलना, जो मुझे तोड़ कर बिखेर सकते थे, मुझे मेरा गर्व सिखाता है परिवार को जोड़े रखना, क्यूंकि उनसे ही मेरा वजूद कायम है इस दुनिया में मुझे मेरा गर्व सिखाता है, रोज़ रोज़ एक ही काम को उसी जोश से करना, क्यूंकि जीवन को उबाऊ बना कर जिया नहीं जा सकता स्री का गर्व उसके माथे में लगे कुमकुम की तरह है हमेशा उसे ऊर्जा से भर देने वाला स्वयं में गर्व करना अभिमान की श्रेणी में नहीं आँका जाना चाहिए, गर्व ऐसा हो जो जीवन में आगे ले जाये, ईर्ष्या द्वेष अभिमान को कोसों दूर रखे, मेरा गर्व मुझे जीवन की छोटी छोटी खुशि यों में खुश रहने की प्रेरणा देता है, मेरा गर्व मुझे निरंतर मेरे होने की प्रेरणा देता है.
कैसे ढालूँ लब्ज़ो में तुझे, तू ठहरता ही नहीं कहीं , रोज़ उड़कर आ जाता है मेरे ख़्यालों में, कभी ज़ुल्फ़ों से खलता है मेरी, कभी उँगलियों से निशान बनाता है हथेली पर, अपनी पलकों को खोल देता है मेरे लिए , बिना बोले मेरे कह जाता है , हज़ार फलसफे खुद ही अकेले, टकटकी लगाए देखता है मुझे तू घण्टों , जैसे पिघल कर मुझे गंगा बना जायेगा मोहब्बत के हर पल को जीता है मेरे साथ ऐसे, जैसे मर के मुझे अमर बना जायेगा, कैसे ढालूँ शब्दो में तुझे ,तू ठहरता ही नहीं कही..
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